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Wednesday, 17 July 2013

मैरिज एक्ट में संशोधनः महिलाओं को मिलेगा पैतृक संपत्ति में हिस्सा और भी...

मैरिज एक्ट में संशोधनः महिलाओं को मिलेगा पैतृक संपत्ति में हिस्सा   और भी... 

हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन को लेकर आखिरकार कैबिनेट ने फैसला ले लिया. मैरिज एक्ट में जो संशोधन किए गए हैं, उनके मुताबिक पैतृक संपत्ति में अब महिलाओं को भी हक मिलेगा.
महिलाओं को पिता और पति की संपत्ति में भी हिस्सेदारी मिलेगी हालांकि कितना हिस्सा मिलेगा इसका फैसला कोर्ट करेगी. इस संशोधन के बाद तलाक लेना अब पहले से ज्यादा आसान हो जाएगा.
क्या है हिन्‍दू मैरिज एक्‍ट?
शादियों को कानूनी शर्त में बांधन के लिए हिंदू मैरेज एक्ट बना था. ये बात आजादी के 8 साल बाद 1955 की है. तब से लेकर इस एक्ट में तमाम संशोधन हुए. हमारी परंपरा में कहावत तो ये है कि शादियां स्वर्ग मे तय होती हैं. इसे निबाहने के लिए 7 फेरों के 7 वचन ही काफी हैं. लेकिन बदलते जमाने की ये सहजता कई पेचिदगियों से भर चुकी है. इन्हीं पेचिदगियों से बचने के लिए लिए संविधान में हिंदू मैरिज एक्ट का प्रवाधान किया गया था.
शादियों को टूटने से बचाने और इसे कानूनी शर्तों में बांधने के लिए 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट बनाया गया. मगर टूटते बिखरते रिश्तों का आलम ये है, कि कोर्ट को भी एक्ट को लचीला बनाना पड़ा.
अगर किसी भी शादी को बचाने की कोई गुंजाइश नहीं बची हो, रिश्ता तोड़ने पर पति-पत्नी दोनों सहमत हों, तो 6 महीने की ‘कूलिंग पीरियड’ से पहले भी तलाक दिया जा सकता है. देश की ऊंची अदालत ने ये फैसला तो एक निजी मामले में दिया था. लेकिन ये फैसला इशारा करता है, रिश्तों की घुटन से मुक्ति पाने की छटपटाहट वक्त के साथ कितनी बढ़ती गई है. इसी के साथ हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधनों भी किए जाते रहे हैं.
मसलन, मूल कानून में लड़कों के लिए शादी की उम्र 18 साल और लड़कियों की 15 साल थी, जिसे आगे चलकर 21 साल और 18 साल किया गया. पहले हिंदू रीति रिवाजों से हुई शादी को मान्य माना जाता था, आगे चलकर इसमें कानूनी पंजीकरण का प्रावधान किया गया. तलाक की शर्तों में भी बदलाव किया जाता रहा. तलाक के बाद बीवियों को मुआवजे का ख्याल रखा गया.


http://aajtak.intoday.in/story/cabinet-decision-on-marriage-act--1-736357.html

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