कुंडा के शहीद DSP की पत्नी ने सुसराल वालों को कोर्ट में खींचा और भी...
कुंडा के डीएसपी जिया उल हक की हत्या के चार महीने बाद उनकी पत्नी परवीन आजाद और घरवालों के बीच पैसों को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. डीएसपी जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को डीएसपी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस में शामिल किया गया है. अब परवीन ने देवरिया की सिविल कोर्ट में अपने ससुराल वालों शमशुल हक और आजरा खातून के खिलाफ केस दर्ज कराया है. परवीन ने जिया उल हक की चल-अचल संपत्ति दावा ठोंका है. इस मामले में 11 जुलाई को कोर्ट में केस दर्ज किया गया है और 26 जुलाई को सुनवाई होगी.
शहीद डीएसपी के पिता शमशुल हक का कहना है, ‘जिया ने 2009 में दो एलआईसी पॉलिसी ली थीं और अपने माता-पिता को नॉमिनी बनाया था. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद एलआईसी ने 27 जून को दोनों पॉलिसी की रकम 9 लाख और 3.20 लाख के भुगतान के लिए पत्र भेजा. हालांकि एलआईसी अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी कि परवीन ने 25 जून को एलआईसी में आपत्ति पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि पॉलिसी धारक की पत्नी होने के नाते क्लेम उन्हें मिलना चाहिए.’
परवीन की आपत्ति को संज्ञान में लेते हुए एलआईसी ने उन्हें 45 दिन के अंदर उन्हें खुद को नॉमिनी साबित करने और उससे जुड़े डॉक्यूमेंट जमा करने के लिए कहा है. इस तरह से खुद को जिया उल हक की नॉमिनी साबित करने के लिए परवीन ने 11 जुलाई को कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया.
शमशुल हक ने बताया कि उन्हें 26 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि परवीन इन दोनों पॉलिसी का क्लेम नहीं कर सकती क्योंकि परवीन की उनके बेटे से शादी 2012 में हुई, जबकि एलआईसी पॉलिसी 2009 में ली गई थी.
मृत्यु के 40 दिन बाद धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के बाद परवीन जुफर तोला छोड़कर लखनऊ में बस गई हैं. वे उत्तर प्रदेश पुलिस में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पर तैनात हैं और उतनी ही तनख्वाह पा रही हैं जितनी शहीद डीएसपी को मिलती थी. यही नहीं उन्हें सरकारी आदेशानुसार इतनी ही रकम पेंशन के रूप में भी मिल रही है. डीएसपी के पिता ने आरोप लगाया कि परवीन उनसे कोई संपर्क नहीं रखती. उन्होंने बताया कि परवीन ने जिस दिन केस दर्ज कराया सिर्फ उसी दिन उनके घर पर आयी थीं.
http://aajtak.intoday.in/story/slain-kunda-dsps-wife-goes-to-court-over-insurance-money-1-737147.html
कुंडा के डीएसपी जिया उल हक की हत्या के चार महीने बाद उनकी पत्नी परवीन आजाद और घरवालों के बीच पैसों को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. डीएसपी जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को डीएसपी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस में शामिल किया गया है. अब परवीन ने देवरिया की सिविल कोर्ट में अपने ससुराल वालों शमशुल हक और आजरा खातून के खिलाफ केस दर्ज कराया है. परवीन ने जिया उल हक की चल-अचल संपत्ति दावा ठोंका है. इस मामले में 11 जुलाई को कोर्ट में केस दर्ज किया गया है और 26 जुलाई को सुनवाई होगी.
शहीद डीएसपी के पिता शमशुल हक का कहना है, ‘जिया ने 2009 में दो एलआईसी पॉलिसी ली थीं और अपने माता-पिता को नॉमिनी बनाया था. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद एलआईसी ने 27 जून को दोनों पॉलिसी की रकम 9 लाख और 3.20 लाख के भुगतान के लिए पत्र भेजा. हालांकि एलआईसी अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी कि परवीन ने 25 जून को एलआईसी में आपत्ति पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि पॉलिसी धारक की पत्नी होने के नाते क्लेम उन्हें मिलना चाहिए.’
परवीन की आपत्ति को संज्ञान में लेते हुए एलआईसी ने उन्हें 45 दिन के अंदर उन्हें खुद को नॉमिनी साबित करने और उससे जुड़े डॉक्यूमेंट जमा करने के लिए कहा है. इस तरह से खुद को जिया उल हक की नॉमिनी साबित करने के लिए परवीन ने 11 जुलाई को कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया.
शमशुल हक ने बताया कि उन्हें 26 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि परवीन इन दोनों पॉलिसी का क्लेम नहीं कर सकती क्योंकि परवीन की उनके बेटे से शादी 2012 में हुई, जबकि एलआईसी पॉलिसी 2009 में ली गई थी.
मृत्यु के 40 दिन बाद धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के बाद परवीन जुफर तोला छोड़कर लखनऊ में बस गई हैं. वे उत्तर प्रदेश पुलिस में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पर तैनात हैं और उतनी ही तनख्वाह पा रही हैं जितनी शहीद डीएसपी को मिलती थी. यही नहीं उन्हें सरकारी आदेशानुसार इतनी ही रकम पेंशन के रूप में भी मिल रही है. डीएसपी के पिता ने आरोप लगाया कि परवीन उनसे कोई संपर्क नहीं रखती. उन्होंने बताया कि परवीन ने जिस दिन केस दर्ज कराया सिर्फ उसी दिन उनके घर पर आयी थीं.
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