महिला की मौत को दहेज हत्या नहीं माना कोर्ट ने
हाई कोर्ट।। शादी के एक महीने के भीतर कार एक्सिडेंट हुआ और महिला की मौत हो गई। इस घटना में महिला का पति घायल हो गया। महिला के पिता ने इस मामले में आरोप लगाया कि यह दहेज हत्या का केस है , लेकिन हाई कोर्ट ने इस दलील को नकार दिया। निचली अदालत ने महिला के पति को लापरवाही से हुई मौत के मामले में दोषी करार दिया था और उसे दो साल कैद की सजा सुनाई था। साथ ही महिला के पति को निर्देश दिया था कि वह शिकायती को मुआवजे के तौर पर 7 लाख रुपये का भुगतान करें।
इस फैसले को महिला के पिता ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि आरोपी की सजा बढ़ाई जाए और उन्हें दहेज हत्या के लिए सजा दी जाए। हाई कोर्ट ने महिला के पिता की अर्जी खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने महिला के पति को लापरवाही से मौत का दोषी माना और दो साल कैद की सजा को सही ठहराया।
पुलिस के मुताबिक 17 जुलाई , 1999 को महिला की शादी हुई थी। शादी के बाद वह अपने ससुराल में रह रही थी। इसी दौरान 15 अगस्त , 1999 को महिला अपने पति के साथ कार से जा रही थी। रात के वक्त उनकी कार टैंकर से टकरा गई। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त थी और पति - पत्नी दोनों बुरी तरह घायल थे। पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने इस मामले में लापरवाही से गाड़ी चलाने और लापरवाही से मौत का केस दर्ज किया। बाद में महिला के पिता ने शिकायत की कि उनकी बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त किया जाता था। पुलिस ने महिला के पति और अन्य ससुरालियों के खिलाफ दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना का भी केस दर्ज कर दिया।
निचली अदालत ने पति समेत अन्य ससुरालियों को दहेज हत्या व प्रताड़ना के मामले में तो बरी कर दिया , लेकिन पति को लापरवाही से हुई मौत के मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। महिला के पिता ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि उनकी बेटी शादी के 28 दिनों बाद ही चल बसी। उसे उसके पति और अन्य ससुरालियों ने प्रताडि़त किया था। उसका पति उसे मारने के इरादे से मारुति 800 में ले गया जबकि उसके पास मारुति जेन भी थी। कार में सूटकेस रखी हुई थी। यह सूटकेस पहले डिक्की में थी लेकिन उसके पति ने उसे उनकी बेटी की सीट के पीछे रख दिया और जब एक्सिडेंट हुआ , तब उसके पति की सीट पीछे चली गई लेकिन उनकी बेटी की सीट नहीं झुक पाई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को मारने का प्लान था।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब एक्सिडेंट हुआ , तब मौके पर दोनों बुरी तरह घायल थे। जिस तरह से एक्सिडेंट हुआ था , उससे साफ है कि ये केस 304 बी का नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने यह माना कि यह केस दहेज हत्या का नहीं है। जब यह घटना हुई , उसके बाद महिला के पिता ने दहेज की मांग का कोई आरोप नहीं लगाया और कोई संदेह भी नहीं जताया। उन्होंने कोई प्रताड़ना की बात नहीं की और घटना के 37 दिनों बाद उन्होंने इसकी शिकायत की। अपने जीवनकाल में महिला ने भी दहेज प्रताड़ना की कोई शिकायत नहीं की। इस मामले में लगाए गए आरोप वैलिड नहीं हैं।
निचली अदालत ने पति समेत अन्य ससुरालियों को दहेज हत्या व प्रताड़ना के मामले में तो बरी कर दिया , लेकिन पति को लापरवाही से हुई मौत के मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। महिला के पिता ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि उनकी बेटी शादी के 28 दिनों बाद ही चल बसी। उसे उसके पति और अन्य ससुरालियों ने प्रताडि़त किया था। उसका पति उसे मारने के इरादे से मारुति 800 में ले गया जबकि उसके पास मारुति जेन भी थी। कार में सूटकेस रखी हुई थी। यह सूटकेस पहले डिक्की में थी लेकिन उसके पति ने उसे उनकी बेटी की सीट के पीछे रख दिया और जब एक्सिडेंट हुआ , तब उसके पति की सीट पीछे चली गई लेकिन उनकी बेटी की सीट नहीं झुक पाई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को मारने का प्लान था।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब एक्सिडेंट हुआ , तब मौके पर दोनों बुरी तरह घायल थे। जिस तरह से एक्सिडेंट हुआ था , उससे साफ है कि ये केस 304 बी का नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने यह माना कि यह केस दहेज हत्या का नहीं है। जब यह घटना हुई , उसके बाद महिला के पिता ने दहेज की मांग का कोई आरोप नहीं लगाया और कोई संदेह भी नहीं जताया। उन्होंने कोई प्रताड़ना की बात नहीं की और घटना के 37 दिनों बाद उन्होंने इसकी शिकायत की। अपने जीवनकाल में महिला ने भी दहेज प्रताड़ना की कोई शिकायत नहीं की। इस मामले में लगाए गए आरोप वैलिड नहीं हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/delhi/crime/the-court-did-not-murder-the-woman39s-dowry-death/articleshow/20496627.cms
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