बुजुर्गो पर अत्याचार के लिए बहुएं सबसे ज्यादा जिम्मेदार
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कहने को तो हमारे देश में बुजुर्गो की बड़ी
इज्जत है, मगर हकीकत यह है कि वे घर की चारदीवारियों के अंदर भी बेहद
असुरक्षित हैं। 23 फीसदी मामलों में उन्हें अपने परिजनों के अत्याचार का
शिकार होना पड़ रहा है। आठ फीसदी तो ऐसे हैं, जिन्हें परिवार वालों की पिटाई
का रोज शिकार होना पड़ता है।
बुजुर्गो पर अत्याचार के लिहाज से देश के 24 शहरों में तमिलनाडु का
मदुरई सबसे ऊपर पाया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश का कानपुर दूसरे नंबर पर
है। गैर सरकारी संगठन हेल्प एज इंडिया की ओर से कराए गए इस अध्ययन में 23
फीसदी बुजुर्गो को अत्याचार का शिकार पाया गया। सबसे ज्यादा मामलों में
बुजुगरें को उनकी बहू सताती है। 39 फीसद मामलों में बुजुर्गो ने अपनी
बदहाली के लिए बहुओं को जिम्मेदार माना है।
बूढ़े मां-बाप पर अत्याचार के मामले में बेटे भी ज्यादा पीछे नहीं। 38
फीसदी मामलों में उन्हें दोषी पाया गया। मदुरई में 63 फीसदी और कानपुर के
60 फीसदी बुजुर्ग अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। अत्याचार का शिकार होने
वालों में से 79 फीसदी के मुताबिक, उन्हें लगातार अपमानित किया जाता है। 76
फीसदी को अक्सर बिना बात के गालियां सुनने को मिलती हैं।
69 फीसदी की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाता। यहां तक कि 39 फीसदी
बुजुर्ग पिटाई का शिकार होते हैं। अत्याचार का शिकार होने वाले बुजुर्गो
में 35 फीसदी ऐसे हैं, जिन्हें लगभग रोजाना परिजनों की पिटाई का शिकार होना
पड़ता है। हेल्प एज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू चेरियन कहते
हैं कि इसके लिए बचपन से ही बुजुर्गो के प्रति संवेदनशील बनाए जाने की
जरूरत है। साथ ही बुजुर्गो को आर्थिक रूप से सबल बनाने के विकल्पों पर भी
ध्यान देना होगा।
http://www.jagran.com/news/national-help-age-india-report-says-23-percent-of-indian-elders-face-abuse-10480408.html?src=gg_home
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